धर्मेंद्र कु लाठ /अनिश कुमार /पूर्णिया ब्यूरो
एक देश एक चुनाव : सत्ता पक्ष ने बताया सही तो विपक्ष ने कहा, संसदीय लोकतंत्र के लिए घातक
– एक देश एक चुनाव पर राजनीतिक दलों में दिख रहा मतभेद
– विपक्ष ने कहा राज्यों की स्वायत्तता के लिए खतरा, सत्ता पक्ष ने बताया जनता हेतु लाभकारी
पूर्णिया देश की राजनीति में इन दिनों एक देश एक चुनाव का मुद्दा छाया हुआ है जिसे लेकर राजनीतिक पार्टियों में मतभेद देखने को मिल रहा है। सत्ता पक्ष जहां एक देश एक चुनाव के पक्ष में है तो वहीं विपक्षी राजनीतिक पार्टियां इसका व्यापक स्तर पर विरोध करती दिख रही है।
एक देश एक चुनाव का विरोध करते हुए युवा राजद के जिला अध्यक्ष नवीन यादव ने कहा कि यह विचार देश के संघीय ढांचे के विपरीत है और संसदीय लोकतंत्र के लिये घातक कदम होगा। लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं का चुनाव एक साथ करवाने पर
युवा राजद के जिला अध्यक्ष नवीन यादव
कुछ विधानसभाओं के मर्जी के खिलाफ उनके कार्यकाल को बढ़ाया या घटाया जायेगा जिससे राज्यों की स्वायत्तता प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि एक देश एक चुनाव का अर्थ लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं का चुनाव एक साथ करवाया जाना है। अगर लोकसभा और राज्यों की विधानसभा का चुनाव एकसाथ होता है तो राष्ट्रीय मुद्दों के सामने क्षेत्रीय मुद्दे गौण हो जायेंगे। क्षेत्रीय मुद्दों के सामने राष्ट्रीय मुद्दे अपना अस्तित्व खो देंगे। श्री यादव ने कहा कि लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनाव का स्वरूप और मुद्दे बिल्कुल अलग होते हैं। लोकसभा के चुनाव जहां राष्ट्रीय सरकार के गठन के लिये होते हैं, वहीं विधानसभा के चुनाव राज्य सरकार का गठन करने के लिये होते हैं। इसलिए लोकसभा में जहां राष्ट्रीय महत्त्व के मुद्दों को प्रमुखता दी जाती है, तो वहीं विधानसभा चुनावों में क्षेत्रीय महत्त्व के मुद्दे आगे रहते हैं। अतः एक देश एक चुनाव देश में बिल्कुल भी प्रासंगिक नहीं हो सकता है।
वहीं जदयू के जिला अध्यक्ष राकेश कुमार ने कहा कि लोकतंत्र को जनता का शासन कहा जाता है। देश में संसदीय प्रणाली होने के नाते अलग-अलग समय पर चुनाव होते रहते हैं और जनप्रतिनिधियों को जनता के प्रति लगातार जवाबदेह बने रहना पड़ता है। इसके अलावा कोई भी पार्टी या नेता एक चुनाव जीतने के बाद निरंकुश होकर काम नहीं कर सकता क्योंकि उसे छोटे-छोटे अंतरालों पर किसी न किसी चुनाव का सामना करना पड़ता है। ऐसे में एक देश एक चुनाव संबंधी केंद्र सरकार का यह कदम बिल्कुल भी तार्किक नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत जनसंख्या के मामले में विश्व का सबसे बड़ा देश है। लिहाजा बड़ी आबादी और आधारभूत संरचना के अभाव में लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं का चुनाव एक साथ कराना कहीं से भी तार्किक प्रतीत नहीं होता।
वहीं भाजपा नेता राजेश कुमार यादव ने कहा कि लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते है जिस वजह से पूरे साल देश में चुनावों का मौसम चलता रहता है। लेकिन लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव अलग अलग समय पर होने से चुनाव प्रक्रियों में काफी पैसा खर्च होता है जिसका सीधा असर देश की अर्थवस्था पर पड़ता है। जिस वजह से एक देश एक चुनाव बहुत ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि एक देश एक चुनाव के जरिए सबसे बड़ा फायदा जनता को यह होगा कि जो बिल और योजनाएं चुनावों के कारण अटक जाती है, जिनसे जनता के जीवन पर असर पड़ता है उन्हें पारित करने में ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। श्री यादव ने कहा कि एक देश एक चुनाव होने से सभी चुनाव केवल एक निर्धारित समय में ही होंगे जिससे केंद्र और राज्य सरकारों को जनता के कार्यों के लिए काफी अधिक समय मिल जायेगा।