धर्मेंद्र कुमार लाठ पूर्णिया
आखिरी समय तक उनके पास मकान भी नहीं था कर्पूरी ठाकुर बिहार में एक बार उपमुख्यमंत्री, दो बार मुख्यमंत्री और दशकों तक विधायक और विरोधी दल के नेता रहे. वर्ष 1952 की पहली विधानसभा में चुनाव जीते. राजनीति में लंबा सफर बिताने के बाद भी जब उनका निधन हुआ तो उनके परिवार को विरासत में देने के लिए एक मकान तक उनके पास व नाम नहीं था. वे अपने जीवनकाल में समाज के हित में ही काम करते रहे.लोकप्रियता के कारण उन्हें जननायक कहा जाता है.
जननायक कर्पूरी ठाकुर बिहार के पहले गैर- कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे. 1971 में मुख्यमंत्री बनने पर ठाकुर ने किसानों को बड़ी राहत देते हुए गैर- लाभकारी जमीन पर मालगुजारी टैक्स को खत्म कर दिया था.उक्त बाते पूर्णिया जिला के नवीन नगर में युवा राजद के जिला कार्यालय में पुर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पुरी ठाकुर जी की 99 वी जयंती समारोह में युवा राजद जिला अध्यक्ष नवीन यादव ने कही ।
इस कार्यक्रम मे युवा राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष अभय कुमार सिन्हा उर्फ बंटी सिन्हा मुख्य रूप से सम्मलित हुए और जननायक के तेल चित्र पर माल्यार्पण कर उनके पदचिह्नों पर चलने का संकल्प लिया।वही प्रदेश उपाध्यक्ष अभय कुमार सिन्हा ने बताया कि कर्पूरी ठाकुर ने 1977 में नौकरियों में मुंगेरीलाल कमीशन लागू कार गरीबों- पिछड़ों को आरक्षण दिया. जननायक कर्पूरी ठाकुर का जन्म समस्तीपुर जिले के पितौझिया गांव में हुआ था. इनके पिता गोकुल ठाकुर गांव के सीमांत किसान थे और अपने पारंपरिक पेशा, नाई का काम करते थे. भारत छोड़ो आंदोलन के समय कर्पूरी ठाकुर ने करीब ढाई साल जेल में बिताया.
राजनीति में अजेय राजनेता थे ठाकुर जननायक कर्पूरी ठाकुर 22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 और 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 के दौरान दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे. कार्यक्रम मे युवा राजद के जिला प्रधान महासचिव मिन्नतखान ,उपाध्यक्ष सह वार्ड पार्षद रितुराज यादव,अमरदीप यादव, अविनाश यादव, मो. मोहसीन ,नील कमल , राकेश यदुवंशी ,कुन्दन यादव, मन्टु कुमार ,सुमन यादव, महिला जिला अध्यक्ष सुशीला भारती , सपना गुप्ता, राधारानी साह,सहित सेकडो पदाधिकारी शामिल हुए