अवधेश कुमार कसबा
कसबा-रविवार को कलानन्द उच्च माध्यमिक विद्यालय गढ़बनैली में प्रभारी प्रधानाध्यापक शम्भु नाथ घोष की अध्यक्षता में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री की जयन्ती मनाई गई तथा उनके तैलचित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित किया गया। इस अवसर पर संबोधित करते हुए विद्यालय प्रधान श्रीघोष ने कहा कि राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्हीं के सम्मान और जन्मदिवस के रूप में हर साल 02 अक्टूबर को पूरे भारत में महात्मा गांधी की जयंती मनाई जाती है।
गांधी जी ने अपना पूरा जीवन देश और देश की आज़ादी के लिए समर्पित कर दिया था। देश को आज़ाद करवाने के लिए उन्होंने कई सत्याग्रह और आंदोलन किए। गांधीजी ने अपने सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत सन् 1906 में दक्षिण अफ्रीका से की थी। उन्होंने यह आंदोलन दक्षिण अफ्रीका में रह रहे भारतायों के लिए अनिवार्य पंजीकरण और पास के खिलाफ छेड़ा था। गांधी जी ने दलित समुदाय के लोगों के लिए भी बहुत कुछ किया। हमारे समाज में एक ऐसा समुदाय भी था जिनके लोगों को अछूत कहा जाता था। इस समुदाय के लोगों को बापू ने हरिजन नाम दिया। हरिजन शब्द का मतलब होता है हरि यानी कि भगवान की संतान। गांधी जी की यह शुरुआत ऐसे समुदायों के लोगों को सम्मानजनक जीवन दिलाने में महत्त्वपूर्ण साबित हुई, जिसका अन्य लोगों पर भी प्रभाव देखने को मिला। गांधीजी ने समाज के साथ-साथ देश की चिंताओं पर भी अपना पूरा ध्यान दिया। उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में सबसे अहम भूमिका निभाई। वह हमेशा सत्य, अहिंसा और शांति के मार्ग पर ही चले। जब भी हम अहिंसा और प्रेम की बात करते हैं, तो सबसे पहले हमें बापू का नाम ही याद आता है कि कैसे उन्होंने सत्य-अहिंसा से देश को आज़ादी दिलवाई। गांधीजी ने न केवल भारत को, बल्कि पूरी दुनिया को सत्य, अहिंसा, प्रेम और शांति का पाठ पढ़ाया और इसके मायने भी समझाए। उन्होंने सबको सिखाया कि हिंसा से किसी भी समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता और न ही दूसरों को क्षति पहुंचाकर या उनका नुकसान करके खुद को सुखी रखा जा सकता। भारतीयों पर जब ब्रिटिश सरकार का अत्याचार बढ़ने लगा, तो महात्मा गांधी ने 8 अगस्त सन् 1942 को अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ दिया। वहीं भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के बारे में उन्होंने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म भी 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव और माता का रामदुलारी था। इनके पिता एक शिक्षक थे।
शास्त्री जी अपने परिवार में सबसे छोटे थे, इसलिए सब प्यार से उन्हे नन्हे बुलाते थे। शास्त्री जी एक क्रांतिकारी व्यक्ति थे और इनके द्वारा गांधी जी के नारे को ‘मरो नहीं, मारो’ में चतुराई से बदलाव मात्र से देश में क्रांति की भावना जाग उठी और उसने प्रचंड रूप ले लिया और इसके लिए शास्त्री जी को जेल भी जाना पड़ा। आजादी के बाद शास्त्री जी की साफ-सुथरी छवि ने उन्हे नेहरू जी के मृत्यु के बाद देश का दूसरा प्रधानमंत्री बनाया और उनके सफल मार्गदर्शन में देश काफी आगे बढ़ा। अनाजों की कीमतों में कटौती, भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में सेना को खुली छूट देना, ताशकंद समझौता जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाते में उनकी मृत्यु ताशकंद में रहस्यमयी तरीके से हो गई। ऐसे महापुरुष देश के लिए बलिदान और सच्ची देश भक्ती के लिए सदैव जाने जाऐंगे। इस अवसर पर विद्यालय प्रधान शम्भु नाथ घोष, अमरदीप मिश्रा सहित कई शिक्षक/शिक्षिकाएं उपस्थित थे।