रिंकू मिर्धा /कसबा पूर्णिया
+++बिडमना: सुबह होते ही लोग भीख मांगने के लिए हो जाते है तैयार :
***भिखारी मतदाता होने पर भी विकास से वंचित***
सुबह होते ही बच्चे किताब लेकर पढ़ते है ,लेकिन कसबा नगर परिषद में एक ऐसा गांव है जहां सुबह होते ही घर के मुखिया द्वारा बच्चो को अल्लाह के नाम पर कुछ दे दो ,मौला के नाम पर कुछ दे दो ,तुम एक रुपया दोगे ऊपर वाला तुम्हे दस रुपया देगा ,जैसे गीत सिखाए जाते है !
ज्ञात हो की कसबा नगर परिषद अंतर्गत वार्ड नो .18 स्तिथ रेलवे गुमटी नो .20से सटे पिछले 30 वर्षो से भीकमंगे की बस्ती बसा है ,जिसे लोग भीखमंगे के बस्ती नाम से जानते है ,आज भी ये भिखारी बदहाली की जिंदगी जीने को विवश है ,लगभग 35घरों में 5दर्जन से जादे आबादी वाले बस्ती में भीखमंगे सुबह होते ही अपने परिवार और छोटे छोटे बच्चे के साथ हाथ में कटोरा लिए पेट की आग बुझाने के लिए गलियों की खाक छानते है
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इनके घरों को देख कर ऐसा लगता है मानो जानवर भी रहने से इंकार कर दे ,शायद ये आशियाना इन्हे कभी तेज धूप तो कभी सर्द हवा तो कभी तूफानों से बचाती हो ,इतना ही नही बिजली का वाल्ब आज भी इनके लिए सपना बना हुआ है ,पेय जल के लिए दर दर ठोकर खाने को मजबूर है ,बताते चले की इन गांव में प्राचीन एक कुंवा है ,जो चारो तरफ से जंगलों से घिरा है ,उसी कुंआ से गंदे पानी पीने को विवश है ,कभी कभी समाज के ठीकेदारों द्वारा वंदिश भी लगा देते है ,सबसे में की बात ये है की इस भिखारी बस्ती में लगभग 25से 30 वोटर भी है ,सबका वोटर पहचान पत्र ,आधार काड़ भी बना है ,वोट भी देते है ,,बस्ती के कई भिखारियों ने बताया चुनाव के समय नेता लोग आते है और वादा कर के चले जाते है ,ना तो राशन मिलता है ,ना चापाकल की सुविधा है ,ना ठंड में कोई कंबल ही मिलता है ,इस बार भी नेताओ का दौड़ शुरू हो गया है ,आज हम भिकारिओ का याद आया और मिलने आता है ,इस बार सब भिखारी वोट नही देने का मन बना रहा है ,उसी को बोट देंगे,को हमलोग को सभी सरकारी सुविधा और राशन दिलवाने का काम करेगा ,