धर्मेंद्र कु लाठ पूर्णिया ब्यूरो
पूरे पूर्णिया में केवल कसबा दुर्गा मंदिर में ही रावणबद्ध का होता है आयोजन
– कसबा का दुर्गा पूजा होता है काफी आलौकिक और मनमोहनीय
– संतोष कुमार साह द्वारा कई वर्षों से रावण की प्रतिमा का होता है निर्माण
दशहरा या विजयदशमी हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये दिन बुराई पर अच्छाई की का प्रतीक है. कहा जाता है कि रावण दहन के साथ व्यक्ति बुराइयों का अंत करके अच्छाइयों की ओर बढ़ने की कोशिश करता है। हिंदू धर्म में दशहरे के त्योहार का खास महत्व होता है। शारदीय नवरात्रि के समापन के बाद दशमी तिथि को दशहरा या विजयादशमी का त्योहार मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का अंत किया था और मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इस दिन को अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक मानते हैं।
सनातन धर्मावलम्बियों के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में एक दुर्गापूजा का आयोजन कसबा में हमेशा से काफी धूमधाम से किया जाता है। यहां का पूजा समारोह काफी आलौकिक और मनमोहनीय होती है। कसबा में खास बात यह देखने को मिलती है विजयादशमी के अवसर पर रावणबद्ध का कार्यक्रम, जो पिछले तीन दशक से भी पहले से होता आ रहा है। कसबा सार्वजनिक दुर्गा मंदिर समिति द्वारा हर वर्ष रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित होता है। कसबा महाबीर चौक स्थित कोसी धार में रावणबद्ध का कार्यक्रम दशमी की देर संध्या आयोजित होती है। रावणबद्ध कार्यक्रम को लेकर उस दिन महाबीर चौक पर हजारों की भीड़ रावणबद्ध को देखने आते हैं। रावणबद्ध कार्यक्रम के बाद मां दुर्गे की प्रतिमा का कोसी धार में विसर्जन होता है। हर साल की तरह इस बार भी कसबा सार्वजनिक दुर्गा मंदिर कमेटी द्वारा रावणबद्ध कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। पूर्णिया जिले में सिर्फ कसबा में ही वृहत रूप से रावणबद्ध का कार्यक्रम आयोजित होता है। इस बार भी कलाकरों द्वारा रावण निर्माण का कार्य शुरू कर दिये है। रावण निर्माण कर रहे कलाकार संतोष कुमार साह ने बताया कि वे पिछले कई वर्षों से रावण बनाते आ रहे हैं। इसके पूर्व इनके पिता स्व भगवान साह द्वारा रावण बनाया जाता था। पिता के मरने के बाद यह पुस्तैनी कारीगरी संतोष कुमार साह पिछले कई वर्षो से करते आ रहे हैं। संतोष कुमार साह ने बताया कि रावण बनाने का कार्य दुर्गा पूजा के एक पूजा से शुरू करते हैं। नवमी तक इसे पूरा कर लिया जाता है। दशमी के दोपहर रावण को महाबीर चौक स्थित कोसी धार के तट पर खड़ा किया जाता है। इस बार भी रावण पूरे तीस फीट का बनाया जा रहा है। रावण में लगाये जाने वाले पटाखे अररिया से मंगवाया जाता है। अररिया के आतिशबाजों द्वारा दशमी के संध्या रावणबद्ध के समय जमकर रंगबिरंगी आतिशबाजी कर लोगों को काफी आकर्षित करते हैं। इस बार भी रावणबद्ध को लेकर प्रशासन द्वारा चुस्त दुरूस्त व्यवस्था रखी गई है। वहीं सार्वजनिक दुर्गा मंदिर कमेटी द्वारा रावणबद्ध कार्यक्रम को लेकर तैयारियां की जा रही है। असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक दशानन के कसबा में दहन के साथ ही बुराईयों का अंत हो जायेगा। त्योहार को लेकर लोगों में एक अलग ही उत्साह और उमंग का माहौल देखने को मिल रहा है।