धर्मेंद्र कु लाठ पूर्णिया ब्यूरो
हिंदी दिवस पर अधिवक्ता विचार मंच द्वारा संगोष्ठी का आयोजन
पूर्णिया। हिंदी दिवस के मौके पर अधिवक्ता विचार मंच के बैनर तले मुख्तरखाना में संध्या 4:00 बजे एक संगोष्ठी आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता मंच के जिला अध्यक्ष अधिवक्ता दिलीप कुमार दीपक ने किया। इस अवसर पर वक्ताओं ने हिंदी दिवस के अवसर पर बोलते हुए कहा हिंदुस्तान में जितनी भाषाएं बोली जाती है उनमें से सर्वाधिक हिंदी भाषा ही बोली जाती है, लेकिन फिर भी हिंदी को नजर अंदाज किया जाता है, यह गलत बात है। किसी कवि ने कहा है “हिंदी में है प्राण सूरके हिंदी में तुलसी के राम, इसको गाकर नाची मीरा, इसमें बसते हैं घनश्याम” तो दूसरे कवि ने कहा “इस तरह रहेगी हिंदी जिस तरह माथे पर रहती है बिंदी”। वहीं वक्ताओं में दिलीप कुमार दीपक ने कहा कि हिंदी को हम सभी ही नजर अंदाज कर रहे है,इसलिए न्यायालय ब्यवस्था में भी हिंदी को हमें अपनाना चाहिए। वहीं अधिवक्ता विचार मंच के महासचिव गौतम वर्मा ने कहा कि सभी अधिवक्ता हिंदी में ही अपना पक्ष न्यायालय में रखें, साथ ही उन्होंने यह भी माँग कि माननीय न्यायालय भी अपना जजमेंट हिंदी में ही दे, ताकि मुवक्किल को भी समझ मे आये जिससे न्याय सरल बन सकें।वहीं मंच के सचिव सुशील झा ने कहा कि आजादी के 74 साल बाद भी हमलोग अंग्रेजो के बोलचाल के भाषा को ढों रहे है, यह काफी शर्म की बात है। हमे हिंदी भाषा को अपने जीवनशैली में अपनाना चाहिए। मंच के उपाध्यक्ष राजकुमार झा ने कहा कि आज का युग प्रचार संसाधन का युग है। हमें हिंदी को जीवंत रखने के लिए हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार करना चाहिए। उन्होंने अधिवक्ताओं से हिंदी का उपयोग करने की सलाह दी ताकि मुवक्किल को समझने में दिक्कत न हो। इस मौके पर मंच के सदस्य सुशील चंद्र झा उर्फ पप्पू, आशुतोष झा, मनोज कुमार झा, राजीव कुमार झा, संजीव सिन्हा, राजीव रंजन झा, भोला भगत, सुभाष पाठक आदि ने अपने अपने विचार ब्यक्त किये।