धर्मेन्द्र कुमार लाठ पूर्णिया ब्यूरो
जलजमाव पूर्णिया नगर निगम की बन चुकी है स्थायी पहचान, जनता वर्षों से बन रहे इसके साक्षी
– नव निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से जनता को नहीं है कुछ खास विकास का भरोसा
मानसूनी बारिश के प्रवेश के अभी कुछ ही दिन गुजरे हैं, लेकिन इतने दिनों में ही पूर्णिया नगर निगम की अव्यवस्था की पोल खुल गयी है। पूर्णिया में अबतक मानसूनी बारिश काफी हल्की ही रही है, फिर भी काफी कम बारिश में ही सडक के साथ-साथ मुहल्लों में पानी का जमाव देखा जा रहा है। पानी व कीचड़ की स्थिति से लोगों को काफी परेशानी हो रही है।
इस तरह की स्थिति पूर्णिया नगर निगम के लिए कोई नयी नहीं है यह यहां वर्षों से चली आ रही एक परंपरा का रूप ले चुकी है और निगम की जनता अपनी इस समस्यानुमी परंपरा का वर्षों से साक्षी बनते आ रहे हैं और परेशानी से दो-चार हो रहे हैं। लेकिन इस दिशा में अबतक यहां के जनप्रतिनिधियों ने कोई पहल ही नहीं किया है। शुक्रवार को शहर में महज कुछ देर की बारिश से ही कई मुहल्ले जलमग्न दिखे। पूर्णिया नगर निगम के विभिन्न वार्डों में जलजमाव का सबसे बडा कारण है यहां नाला का अभाव। नाला के अभाव में बारिश का पानी सडक पर जमा हो जाता है और जलजमाव की स्थिति बनती है। विभिन्न मुहल्ले के लोगों ने बताया कि पूर्णिया नगर निगम का क्षेत्र तमाम तरह की कुव्यवस्थाओं का शिकार है और इसका सबसे बडा कारण है यहां के जनप्रतिनिधियों की शिथिलता और स्वार्थ सिद्धि। यहां के जनप्रतिनिधियों ने कभी जनता की परेशानियों के बारे में कुछ सोचा ही नहीं। क्षेत्र में नगर निगम के मौलिक सुविधाओं का अभाव स्पष्ट दिखाई पड़ता है। विकास के नाम पर जगह जगह कचरे की समस्या, जल नल योजनाओं का पता नहीं, सड़क एवं नाले की जर्जर स्थिति स्पष्ट दिखाई पड़ती है। लोगों ने बताया कि आज तक नगर निगम, नगरपालिका में जो भी काबिज रहा, उसने सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग ही किया है। इसका खामियाजा यहां के लोगों को भुगतान पड रहा है। लोगों से जब पूछा गया कि इस बार नगर निगम की जनता द्वारा यहां के बडे से लेकर छोटे स्तर तक के जनप्रतिनिधियों का चुनाव किया गया है,
ऐसे में नव निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से लोगों की भलाई हेतु कार्य की उम्मीद की जा सकती है तो लोगों ने कहा कि नगर निगम चुनाव के कई महीने तो बीत चुके हैं लेकिन स्थिति यथावत ही है। ऐसे में जनप्रतिनिधियों से कुछ ज्यादा अपेक्षा करना खुद के साथ धोखा देने जैसा ही लगता है। खैर यूँ कहें तो बिल्कुल गलत नहीं होगा कि शहरी इलाके में थोड़ी सी भी बारिश से पानी का जमाव यहां की स्थायी पहचान बन चुकी है।