धर्मेंद्र कुमार लाठ पूर्णिया
भारत की बेटियां हर क्षेत्र में अपना मुकाम बना रही हैं। वह घर चलाने से लेकर देश चलाने तक, पहाड़ों पर चढ़ने से लेकर हवा में फाइटर प्लेन उड़ाने तक में अपनी भागीदारी दे रही हैं। ये तो बात रही आज की मॉडर्न महिलाओं की लेकिन अब की महिलाओं को आगे बढ़ने, देश और समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा देने में इतिहास की कुछ महिलाओं का अहम रोल रहा। आज बच्चा बच्चा कल्पना चावला का नाम जानता है। वह अंतरिक्ष पर उड़ान भरने वाली पहली भारतीय मूल की महिला थीं। उनकी यह उपलब्धि केवल महिलाओं के लिए प्रेरणा नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व की बात है उक्त बाते बुधवार को पूर्णिया भाजपा नेत्री गूंजा बेगानी ने इक भेट वार्ता में कही श्रीमती बेगानी ने आगे कहा की
आज कल्पना चावला की पुण्यतिथि है 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया स्पेस शटल के दुर्घटनाग्रस्त होने के साथ ही यान में सवार सभी अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई थी। इनमें से एक कल्पना चावला भी थीं। बेशक आज ही के दिन कल्पना की उड़ान रुक गई हो लेकिन वह दुनिया के लिए एक मिसाल बन गईं।उन्हें बताया कि हरियाणा के करनाल में 1 जुलाई 1961 को जन्मी चावला साल 1997 में पहली बार अंतरिक्ष यात्रा पर गई थीं। इस उपलब्धि के साथ ही वह राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष यात्रा करने वाली दूसरी भारतीय बनी थीं।कल्पना चावला के पिता का नाम बनारसी लाल चावला और मां का नाम संज्योती चावला था।
कल्पना अपने भाई बहनों में सबसे छोटी थीं। कल्पना चावला की शुरुआती शिक्षा करनाल के ही टैगोर बाल निकेतन सीनियर सेकेंडरी स्कूल से हुई। उनका पसंदीदा विषय हमेशा से ही विज्ञान था। कल्पना बचपन से ही फ्लाइट इंजीनियर बनने का सपना देखती थीं। उनको लगता था कि इंजीनियर फ्लाइट डिजाइन करते हैं।
उन्होंने अपने सपने को पूरा करने लिए पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया। पढ़ाई पूरी की तो उन्हें नौकरी के ऑफर भी मिलने लगे। लेकिन अब कल्पना अंतरिक्ष पर जाने के सपने देखने लगी थीं।
कल्पना की मौत साल 2003 में कोलंबिया स्पेस शटल हादसे में हुई थी। शटल पृथ्वी के वातावरण में वापस प्रवेश करने के दौरान टेक्सास के ऊपर विघटित हो गया था।
बताते चलते है की श्रीमती गूंजा बेगानी द्वारा कल्पना को हर साल श्रद्धांजलि दी जाती है।