धर्मेंद कुमार लाठ पूर्णिया
30 जनवरी, साल 1948… देश के इतिहास में एक काले दिन के तौर पर दर्ज है. इसी दिन दिल्ली के बिड़ला हाउस परिसर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी.
भारत की आजादी में बापू के योगदान को कौन ही भुला सकता है. वह उस वक्त दुनिया के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक थे. इसी वजह से भारत में उनकी पुण्यतिथि को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है. हर साल 30 जनवरी को राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और तीनों सेनाओं के प्रमुख दिल्ली के राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.भले ही ‘बापू’ हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके विचार आज भी ‘जिंदा’ हैं, जो देशवासियों को जोश, साहस और कामयाबी की ओर बढ़ते रहने के लिए प्ररित करते हैं. क्षमा करना ताकतवर व्यक्ति की पहचान है उक्त बाते 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि की शहीद दिवस के मौके कसबा नगर परिषद की अध्यक्ष कुमारी छाया ने एक प्रेसवार्ता में
कही आगे श्रीमती छाया ने बताया कि भारत में हर साल स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए शहीद दिवस मनाया जाता है. देश में चार बार शहीद दिवस मनाया जाता है राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्य तिथि को पूरे देश में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है आप को बताते चलते है की
पूर्णिया जिला में कई स्थानों पर गांधी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। कई स्थानों पर गोष्ठियों के माध्यम से कार्यक्रम आयोजित हुए।
वही कसबा नगर परिषद के उपध्यक्ष सुभाष कुमार ने कहा कि गांधी जी ने देश को सत्य और अहिंसा का जो पाठ पढ़ाया वह आज भी देश के लोगों के लिए कारगार सिद्ध हो रहा है। उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई के लिए गांधी जी सहित देश के हजारों स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने प्रताड़नाएं झेलीं, लेकिन उन्होंने आजादी का अपना संकल्प नहीं छोड़ा।
वही इस मौके पर पूर्व प्रमुख सह जदयू के नेता मो इरफान आलम ने कहा कि देश को स्वतंत्र कराने के लिए सभी देशवासियों ने भेद-भाव, ऊॅच-नीच, जाति-धर्म भुलाकर कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया और देश को आजाद कराया। इस अवसर पर कसबा नगर परिषद के सामाजिक बुद्धिजीवी और दर्जनों में युवा
मौजूद रहे।