धर्मेंद कुमार लाठ पूर्णिया
लाल, बाल, पाल त्रयी के मजबूत आधारभूत स्तंभ लाला लाजपत राय भारत के उन चुनिंदा स्वतंत्रता सेनानियों में आते हैं, जिन्होंने संघर्ष को भारत माता की स्वतंत्रता का आधार माना। देश में गरम दल के प्रमुख नेता माने जाने वाले लाला लाजपत राय को “पंजाब केसरी” की उपाधि भी दी गई थी, क्योंकि जब वह अपनी बात रखते थे तो उनकी गर्जना से अंग्रेजी हुकूमत भी थरथरा उठती थी उक्त बाते शनिवार को एक प्रेस वार्ता में कसबा नगर परिषद उपाध्यक्ष सुभाष कुमार ने कही आगे उन्हें बताया की उनकी छवि देश में एक अच्छे राजनेता, लेखक और वकील के तौर पर बनकर उभरी, उन्होंने अपना अमूल्य योगदान देते हुए देश की आजादी के लिए प्राण तक न्योछावर कर दिए थे, उनका जन्म 28 जनवरी, 1865 को पंजाब के फिरोजपुर जिले के एक गांव में अग्रवाल परिवार में हुआ था।
इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार सह सामाजिक कार्यकर्ता धर्मेंद लाठ ने कहा कि आजादी याचना से नहीं मिलती, बल्कि इसके लिए संघर्ष करना पड़ता है और इसी संघर्ष को करते करते लाला जी ने अपने प्राणों की आहुति दे दी वर्ष 1928 में साइमन कमीशन के विरोध में हो रहे प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसके दौरान हुए लाठी चार्ज में लाला जी घायल हो गए थे, जिसके बाद 17 नवंबर को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
इस मौके पर कसबा के कई नेताओं और सामाजिक लोगो ने किया नमन
28 जनवरी को भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले मां भारती के वीर सपूत लाला लाजपत राय की जन्म वर्षगांठ के इस खास दिन पर कसबा नगर परिषद के राजू महतो
वरिष्ठ पत्रकार सह सामाजिक कार्यकर्ता धर्मेंद्र कुमार लाठ नीतीश गुप्ता जुबेर आलम भाजपा के नेता मनोज मोदी शाहिद राजा मनोज कुमार अंतरराष्टीय हिंदु परिषद के बिनोद लाठ सहित दर्जनों कसबा के नेताओं और सामाजिक करकर्तो ने उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है।