धर्मेंद्र कुमार लाठ पूर्णिया
पूर्णिया जिला के कसबा नगर परिषद की अध्यक्ष कुमारी छाया ने बुधवार को एक प्रेसवार्ता में कहा कि वह नेपाल में हुए विमान हादसे से दुखी हैं, जिसमें भारतीय नागरिकों सहित कई लोगों की जान चली गई। श्रीमती छाया ने कहा कि , ‘‘नेपाल में दुखद विमान दुर्घटना से दुखी हूं, जिसमें भारतीय नागरिकों सहित कई बहुमूल्य जानें चली गईं। दुख की इस घड़ी में मेरे विचार और प्रार्थनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं।”उन्हें ने बताया कि नेपाल में आए साल विमानदुर्घटनाग्रस्त होते रहते हैं. इसकी सबसे मुख्य वजह यहां के ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी इलाके हैं. जो विमान के लिए खतरा बढ़ाने का काम करते हैं. नेपाल में ज्यादातर हवाई पट्टियां पर्वतीय इलाकों में हैं. नेपाल में अचानक से मौसम का बदलना भी विमान के लिए खतरे को बढ़ाने का काम करता है.
जिसका सीधा असर एविएशन सेक्टर पर असर पड़ रहा है. इसी कारण नेपाल में विमान यात्रा रिस्की है ज्ञात हो कि नेपाल में पिछले 30 साल से ज्यादा समय में सबसे भीषण हादसे में एक यात्री विमान पोखरा हवाई अड्डे पर उतरते समय रविवार को नदी घाटी में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिससे कम से कम 72 लोगों की मौत हो गई।
क्या है मामला
हवाई अड्डे पर उतरते वक्त विमान हुआ दुर्घटनाग्रस्त नेपाल के नागर विमानन प्राधिकरण (सीएएएन) ने बताया कि यति एअरलाइन के 9एन-एएनसी एटीआर-72 विमान ने पूर्वाह्न 10 बजकर 33 मिनट पर काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी।
पोखरा हवाई अड्डे पर उतरते वक्त विमान पुराने हवाई अड्डे और नए हवाई अड्डे के बीच सेती नदी के तट पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में कुल 68 यात्री और चालक दल के चार सदस्य सवार थे। अभी तक दुर्घटनास्थल से 68 शव बरामद किए जा चुके हैं।आप को बताते चलते है की एविएशन सेफ्टी डाटा बेस की रिपोर्ट के हिसाब से नेपाल में पिछले 30 सालों में 27 विमान दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. जिनमें से 20 घटनाएं तो पिछले एक दशक में हुईं हैं.
पुराना रिकॉर्ड देखें तो काठमांडू का त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा समुद्र तल से 1,338 मीटर की ऊंचाई पर है और यहां सबसे घातक विमान दुर्घटनाएं हुई हैं.