धर्मेंद्र कु लाठ पूर्णिया
हजारों सालों की गुलामी के बाद भी यदि भारत मृत्युंजय बना रहा तो उसके पीछे उसकी परिवार व्यवस्था और समाज व्यवस्था रहीं हैं और ये व्यवस्था भारतीय शिक्षा पद्धति अर्थात गुरुकुल शिक्षा की हीं देन थी। सन् 1823 ई० में जब भारत में एक भी आधुनिक विद्यालय नहीं थे तब भी भारत शत् प्रतिशत साक्षर था और इस साक्षरता का कारण भारत के गांव-गांव में फैला गुरुकुल का जाल था। उस समय भारत में गांवों की संख्या 750000 थी वहीं गुरुकुल की संख्या 732000 थी। अंग्रेजों के प्रयासों ने तो गुरुकुल को नष्ट कर दिया लेकिन उसने जो ज्ञान भारतीयों के DNA में भरा था उसे नष्ट नहीं कर सका। लेकिन आजादी के बाद की उपेक्षा के कारण वहीं परिवार और समाज व्यवस्था कमजोर होती जा रहीं है। इसलिए आज गुरुकुलीय शिक्षा की आवश्यकता सबसे अधिक है। वक्त बाते पुर्णिया के महामाया मंदिर के सामने रामबाग-पूर्णिया सिटी मार्ग में पूर्णिया गुरुकुलम् के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में भारतीय शिक्षण मंडल के आखिल भारतीय सह गुरुकुल प्रमुख ज्ञानेंद्र सापकोटा ने कही आगे उन्होंने बताया कि पूर्णिया गुरुकुलम् इस नए युग की क्रांति का एक छोटा सा दीप है आप सभी के सहयोग और सहभागिता से यह दिव्य ज्योति का प्रेरणा पुंज बनकर उभरेगा। इस कार्यक्रम में गुरुकुल ने अपना मुख पत्र गुरुकुलम् दर्पण का भी लोकार्पण किया। इस पत्रिका में पूर्णिया गुरुकुलम् के साथ साथ पूरे देश में भारतीय शिक्षण मंडल के नेतृत्व में चल रहें 64 गुरुकुल की गतिविधियों को एवं वर्तमान के समसामयिक घटनाचक्र को भी शामिल किया जाएगा। आगे उन्होंने कहा भारतीय शिक्षण मंडल के नेतृत्व में पूरे देश में 65वां और बिहार में पहली गुरुकुल की स्थापना हुई है। इस के संचालन में सभी सामाजिक धार्मिक संगठन का सहयोग मिल रहा है वहीं मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ के सह क्षेत्र प्रचारक रामकुमार भी मेजुद थे।रामकुमार ने कहा जयप्रकाश नारायण की कहानी, आशुतोष मुखर्जी की कहानी हमें बताती है कि संस्कारवान शिक्षा क्या होती है।आधुनिक शिक्षा ने बड़े मल्टीनेशनल कंपनी में काम तो दिला दिया लेकिन उसने हमें असंवेदनशील भी बनाया है। हमारे देश में शिक्षक नहीं होते थे, हमारे देश में आचार्य और गुरू होते थे। आचार्य मतलब जो अपने आचरण से विद्यार्थी के जीवन के लिए प्रेरणा बने।
वही कार्यक्रम की अध्यक्षता वनवासी कल्याण पूर्णिया में भारतीय शिक्षण मंडल के द्वारा आश्रम के जिला सचिव प्रदीप मित्रुका ने किया। एवं मंच संचालन डाॅ सनोज कुमार ने किया इस उद्घाटन समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत सेवा प्रमुख राजा राम, विभाग प्रचारक चंदन कुमार, भारतीय शिक्षण मंडल के प्रांत अध्यक्ष डॉ अमरेन्द्र चौबे,डाॅ राजन आनंद, तिवारी बाबा, मुरारी बाबा, CA राजीव श्रीवास्तव, राजेश लोहिया, निलम अग्रवाल,पुर्व विधायक प्रदीप दास ,प्रो शिवमुनी यादव, राणा प्रताप सिंह, डाॅ अनुराधा सिन्हा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह प्रांत प्रचार प्रमुख राकेश कुमार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग
संघचालक ठाकुर रामनारायण सिंह,डॉ संजीव कुमार, सदर विधायक विजय खेमका,किसनगंज जिला संयोजक पंकज कुमार आदि उपस्थित रहे।साथ ही साथकार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रांतीय सह संगठन मंत्री सुनील कुमार,पूर्णियां गुरुकुलम् के प्रबंधक श्रवणकुमार,सहप्रबंधक,अनील कुमार, भारतीय शिक्षण मंडल के जिलाध्यक्ष रामनरेश भक्त, गुरुकुल प्रांत प्रमुख संजय कुमार सिंह, मंत्री राजेश कुमार सिंह, कार्यक्रम के तकनिकी प्रबंधक ई०सत्यम कुमार, मीडिया प्रभारी आशुतोष दुबे, आनंद कुमार, शिवशंकर दूबे, अमित शर्मा,शुभम जी , मनोहर,अमन,
चमन ,रमेश,जय, रितेश अमर शिवम , विनीत आदि उपस्थित थे एवं इस कार्यक्रम मे भारतीय शिक्षण मंडल के पूर्णिया,अररिया, कटिहार, किशनगंज, दरभंगा, सहरसा, मधेपुरा ,पटना , सीतामढ़ी आदि जिला से कार्यकर्ता भी उपस्थित हुए।