अवधेश कुमार कसबा
कसबा नगर निकाय चुनाव में बेहतर कमाई करने की उम्मीद संजोए कसबा शहर के प्रिंटिंग प्रेस संचालकों को हाईकोर्ट के फैसले ने तगड़ा झटका दिया है। अति पिछड़ा पदों पर आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट ने आगामी 10 अक्टूबर और 20 अक्टूबर को होने वाले नगर निकाय चुनाव पर रोक लगा दी है। चुनाव स्थगित होने बाद चुनाव प्रचार सामग्री की छपाई को मिलने वाले आर्डर पर ब्रेक लग गया है। इतना ही नहीं जो पुराने आर्डर मिले थे, उन्हें भी प्रत्याशियों के द्वारा रोक दिया गया है। अब तो हालत ऐसी हो गई है कि छपा हुआ पोस्टर भी उम्मीदवार नहीं ले जा रहे हैं जिससे प्रिंटिंग संचालकों के लाखों रुपए के नुकसान होने की आशंका परेशान करने लगी है। जबकि आचार संहिता लागू होने के बाद मुख्य पार्षद, उपमुख्य पार्षद और वार्ड पार्षद के उम्मीदवारों के द्वारा बैनर, होल्डिंग, पोस्टर समेत अन्य कई प्रकार के चुनावी सामग्रियों के लिए लाखों के आर्डर मिलने से प्रिंटिंग प्रेस संचालक चुनावी सीजन में बेहतर कमाई की उम्मीद संजोए थे। नामांकन के बाद तो विभिन्न प्रकार की चुनावी सामग्रियों के आर्डर भी प्रिंटिंग प्रेस को मिलने लगे थे।इस बीच निकाय चुनाव स्थगित होने से प्रिंटिंग प्रेस कारोबारियों की बेहतर कारोबार की उम्मीद को तगड़ा झटका लगा है।
कसबा मदारघाट रोड में प्रिंटिंग प्रेस चलाने वाले भोला साह बताते हैं कि अचानक से सब कुछ रुक गया। प्रिंटिंग प्रेस में काम करने वाले कर्मचारी भी अपने अपने घर चले गए क्योंकि उनके लिए अब कोई काम ही नहीं बचा। वे बताते हैं कि नगर निकाय चुनाव अचानक से स्थगित होने से बहुत बड़ी नुकसान होने की आशंका है। कई प्रत्याशियों के पोस्टर छपा हुआ है जो नहीं ले जा रहे हैं। कॉल करने पर फोन भी नहीं उठा रहे हैं। इस तरह से देखा जाय तो छोटी बड़ी दर्जनों प्रिंटिंग प्रेस वालों को 20 लाख रुपए से अधिक का नुकसान होने की आशंका सताने लगी है। प्रिंटिंग प्रेस संचालक आर्या बताते हैं कि एक तो कोरोना संक्रमण के कारण पिछले दो सालों से धंधा वैसे ही चौपट हो गया था। इधर निकाय चुनाव की घोषणा होने से कुछ कमाई की उम्मीद जगी थी लेकिन निकाय चुनाव स्थगित होने से कोरोना काल से भी बुरा हाल हो गया है।
आरक्षण समाप्त करने की केंद्र सरकार की है साजिश
नगर परिषद के निवर्तमान उप मुख्य पार्षद प्रत्याशी बमबम साह कहते हैं कि यह आरक्षण समाप्त करने का केंद्र सरकार की सोची समझी साजिश है। केंद्र सरकार नहीं चाहती है कि गरीब के बेटा बेटी लोकतंत्र में निर्णायक भूमिका निभाए। यहीं कारण है कि निकाय चुनाव को स्थगित कर दिया गया। वहीं निवर्तमान पार्षद हसमत राही कहते हैं कि अचानक से निकाय चुनाव रोक देना कहीं से जायज नहीं है। यदि कोर्ट में प्रक्रिया चल रही थी तो सरकार को चुनाव का नोटिफिकेशन जारी नहीं करना चाहिए था। सभी प्रत्याशियों को आर्थिक हानि हुई है।
इसका जिम्मेदार सिर्फ राज्य सरकार है।नगर निकाय चुनाव स्थगित होने के बाद कसबा नगर परिषद क्षेत्र के उम्मीदवारों की लुटिया डूब गई। प्रत्याशियों के लाखों रूपए बर्बाद हो गए। बता दें कि कसबा नगर परिषद क्षेत्र में 10 अक्टूबर को चुनाव होना था। इस दौरान मुख्य पार्षद पद के लिए 15 प्रत्याशी, उपमुख्य पार्षद पद के लिए 14 उम्मीदवार और 26 वार्डो के लिए 117 प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार पर पूरी ताकत झोंक दी थी।इस बीच चुनाव से महज 6 दिन पहले हाईकोर्ट के फैसले के बाद चुनाव आयोग ने निकाय चुनाव रद्द करने का आदेश दिया। जिससे उम्मीदवारों के उम्मीदों पर पानी फिर गया। उम्मीदवारों द्वारा अपने समर्थकों के लिए भंडारे की भी व्यवस्था की गई थी तो कुछ वोट के ठीकेदारों की चांदी कट रही थी।नामांकन से लेकर अब तक प्रत्याशियों के द्वारा चुनाव में जीत हार की गणित बैठाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी गई थी। खासकर मुख्य पार्षद और उपमुख्य पार्षद पद के कई उम्मीदवारों के तो लाखों रूपए खर्च हो गए। दूसरी तरफ प्रत्याशियों के हैंडबील, पोस्टर और बैनर छपे के छपे रह गए। उम्मीदवार काफी मात्रा में बैनर, होर्डिंग, हैंडबील और पोस्टर छपा चुके थे। इसके अलावे सुबह से लेकर देर रात प्रचार चल रहा था। मतदाताओं की सुविधा के लिए भंडारे का भी आयोजन था लेकिन चुनाव स्थगित होने से सब कुछ धरा के धरा रह गया। अब प्रत्याशियों के दोहरी मेहनत करनी होगी।